मास्क पर हुई अब तक की सबसे बड़ी रिसर्च
The biggest research ever done on masks
महाराष्ट्र में कोरोना की तीसरी लहर ने दस्तक दे दी है। राज्य के ऊर्जा मंत्री नितिन राउत ने कहा कि जिस तरह से नागपुर में कोरोना के मामले दोगुनी रफ्तार से सामने आ रहे हैं, उससे यह कहा जा सकता है कि नागपुर में कोरोना की तीसरी लहर आ चुकी है।
इससे बचने का सबसे कारगर उपाय है मास्क। फिर भी लोग इसे लेकर लापरवाह हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने मास्क लगाना बंद कर दिया है।
मास्क को लेकर हुई अब तक की सबसे बड़ी रिसर्च में यह सामने आया है कि जिस इलाके में सबसे ज्यादा लोग सर्जिकल मास्क का उपयोग करते हैं वहां कोरोना के केस काफी कम थे।
वायरस के प्रकोप से बचने के लिए फेस मास्क सबसे ज्यादा जरूरी है। बांग्लादेश में एक रिसर्च में सामने आया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना महामारी को कंट्रोल करने में सर्जिकल मास्क सबसे ज्यादा इफेक्टिव साबित हुआ है। इस रिसर्च ने मास्क की भूमिका पर लगातार उठ रहे सवाल का जवाब दे दिया है कि कोरोना से लड़ने में इसकी अहम भूमिका है
बांग्लादेश के 600 गांवों के 3,50,000 प्रतिभागियों पर यह रिसर्च हुई। इसमें सामने आया कि सर्जिकल मास्क ने उन गांवों में संक्रमण को कंट्रोल करने में अहम भूमिका निभाई है, जहां लोगों के बीच मास्क डिस्ट्रिब्यूट किए गए थे।
यह रिसर्च इनोवेशन फॉर पॉवर्टी एक्शन में एक प्रीप्रिंट में पब्लिश हुई है।कोविड-19 के दौरान ग्रामीण बांग्लादेश में कम्युनिटी लेवल मास्क प्रमोशन से पता चलता है कि इस पहल ने मास्क के इस्तेमाल में तीन गुना इजाफा कर दिया है। इतना ही नहीं, सिंप्टोमेटिक कोरोना के संक्रमण को भी कम कर दिया है। इससे पता चलता है कि सामुदायिक मास्क पहनने को बढ़ावा देने से लोगों की हेल्थ में सुधार हो सकता है।
रिसर्चर्स ने रीयूजेबल सर्जिकल मास्क और कपड़े के मास्क को लेकर रिसर्च की। रिसर्चर्स ने डोर-टु-डोर जाकर लोगों को फ्री में मास्क बांटे। वीडियो और ब्रॉशर के जरिए लोगों को मास्क पहनने की जानकारी दी और उन्हें पब्लिक प्लेस पर मास्क लगाने के लिए कहा।
रिजल्ट में सामने आया कि इस पहल से कोरोना संक्रमण के मामलों में 9.3% कमी आई।
रिसर्च में सर्जिकल मास्क ज्यादा इफेक्टिव पाया गया, खासतौर से बुजुर्ग आबादी पर इसका ज्यादा असर देखने को मिला।
- सर्जिकल मास्क ने कोरोना संक्रमण से 11% सुरक्षा प्रदान की, जबकि 60 साल से ज्यादा उम्र वालों में इसने 35% संक्रमण को रोकने में मदद की।
- रिसर्चर्स ने कहा कि सर्जिकल मास्क में ट्रिपल-लेयर पॉलीप्रोपाइलीन होता है, जो इसे 95 प्रतिशत फिल्ट्रेशन एफिशिएंसी देता है और इसकी लागत भी कपड़े के मास्क से एक-चौथाई होती है।
- रिसर्चर्स के मुताबिक सर्जिकल मास्क ज्यादा कम्फर्टेबल होते हैं, खासतौर से गर्म और ह्युमिड मौसम में। वहीं, कपड़े के मास्क धोने के बाद अपनी चमक खो देते हैं।
रिसर्च में सर्जिकल मास्क ज्यादा इफेक्टिव पाया गया, खासतौर से बुजुर्ग आबादी पर इसका ज्यादा असर देखने को मिला।
- सर्जिकल मास्क ने कोरोना संक्रमण से 11% सुरक्षा प्रदान की, जबकि 60 साल से ज्यादा उम्र वालों में इसने 35% संक्रमण को रोकने में मदद की।
- रिसर्चर्स ने कहा कि सर्जिकल मास्क में ट्रिपल-लेयर पॉलीप्रोपाइलीन होता है, जो इसे 95 प्रतिशत फिल्ट्रेशन एफिशिएंसी देता है और इसकी लागत भी कपड़े के मास्क से एक-चौथाई होती है।
- रिसर्चर्स के मुताबिक सर्जिकल मास्क ज्यादा कम्फर्टेबल होतेखासतौर से गर्म और ह्युमिड मौसम में। वहीं, कपड़े के मास्क धोने के बाद अपनी चमक खो देते हैं
विश्व स्वास्थ्य संगठन इस हफ्ते भारत के स्वदेशी कोरोना टीके कोवैक्सिन को मंजूरी दे सकता है। इसका प्रोडक्शन हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक कर रही है। इससे भारत सहित दुनिया के कई देशों में कोवैक्सिन लगवा चुके लोगों को फायदा मिलेगा।
WHO का अप्रूवल न मिलने के कारण अब तक कोवैक्सिन लेने वाले लोग विदेशों की यात्रा नहीं कर पा रहे थे। मंजूरी मिलने के बाद इसे वैक्सीन पासपोर्ट की तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा। कंपनी वैक्सीन को आसानी से दुनियाभर में एक्सपोर्ट भी कर पाएगी। भारत बायोटेक ने अप्रूवल के लिए WHO-जिनेवा में एप्लीकेशन दी थी। कोवैक्सिन को अब तक 13 देशों में मंजूरी मिल चुकी है।