न्यूजीलैंड में कोरोना का एक पॉजिटिव केस मिला

 DATE-18 AUG 2021 VIDEO-Independence Day Flag Hoisting Ceremony

न्यूजीलैंड में कोरोना का एक पॉजिटिव केस मिला

न्यूजीलैंड सरकार ने देश में लॉकडाउन लगा दिया है। यह फैसला ऑकलैंड शहर में एक व्यक्ति की कोविड-19 टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद किया गया। न्यूजीलैंड में 6 महीने बाद किसी व्यक्ति को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है।

ऑकलैंड में एक सप्ताह जबकि देश के बाकी हिस्सों में तीन दिन का लॉकडाउन रहेगा। हेल्थ मिनिस्ट्री को आशंका है कि जिस व्यक्ति को पॉजिटिव पाया गया है, उसमें डेल्टा वैरिएंट के लक्षण हो सकते हैं। यह सबसे ज्यादा खतरनाक वैरिएंट माना जा रहा है।

ऑफिस और स्कूल भी बंद
पॉजिटिव पाया गया व्यक्ति ऑकलैंड के तटीय कस्बे कोरोमेंडेल भी गया था। इस कस्बे में सात दिन के लिए सख्त लॉकडाउन लगा दिया गया है। प्रधानमंत्री जेसिंडा अर्डर्न ने कहा कि यहां लेवल-4 नियम लागू किए जा रहे हैं। इसके तहत कोरोना गाइडलाइन की सबसे सख्त शर्तें लागू की जाती हैं। स्कूल, ऑफिस और कारोबार सभी बंद रहेंगे। जरूरी सेवाएं जारी रहेंगी।

जेसिंडा ने कहा- हमने इस तरह की चीजों के लिए पहले से तैयारी की है। अगर आप शुरुआत में ही सख्ती से नियम लागू करते हैं तो इसका फायदा होगा। यह हम पहले भी देख चुके हैं।

23 जगहों पर नजर ज्यादा
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, संक्रमित व्यक्ति की उम्र 58 साल है। माना जा रहा है कि वह गुरुवार से बीमार है। टेस्ट के दौरान उसे पॉजिटिव पाया गया। उन 23 जगहों पर नजर ज्यादा रखी जा रही है, जहां यह व्यक्ति गया था।

यह मामला सामने आने के बाद ऑकलैंड के सुपरमार्केट्स में भीड़ बढ़ गई है। लोगों को पहले से ही अंदाजा था कि लॉकडाउन लगाया जा सकता है। प्रशासन का कहना है कि इस मामले तेज और सख्त एक्शन की जरूरत है, क्योंकि यह डेल्टा वैरिएंट का केस लग रहा है।

खतरा बढ़ रहा है
हेल्थ मिनिस्ट्री द्वारा जारी किए गए डेटा के मुताबिक, देश की सीमाओं पर हालिया हफ्तों में जो मामले सामने आए हैं, वे सभी डेल्टा वैरिएंट ही थे। पीएम ने कहा- हम देख चुके हैं कि बाकी जगहों पर इस वैरिएंट ने कितनी मुश्किलें पेश कीं। इसलिए हमारे पास एक ही मौका है जब हमें शुरुआत में ही संभल जाएं।

न्यूजीलैंड ने अपनी सीमाओं पर सख्त निगरानी रखी है। यही वजह कि कोई भी पॉजिटिव मरीज देश नहीं पहुंच पाया। एक लिहाज से यहां की तमाम सीमाएं बंद कही जा सकती हैं।

 भारत ने एक दिन में वैक्सीनेशन का नया रिकॉर्ड बनाया 

भारत ने एक दिन में वैक्सीनेशन का नया रिकॉर्ड बनाया है। सरकार के मुताबिक, सोमवार को देश में 88.13 लाख लोगों को कोरोना का टीका लगाया गया। यह अब तक देश और दुनिया में एक दिन में हुआ सबसे ज्यादा वैक्सीनेशन है। देश में अब तक 6.3 करोड़ डोज लगाकर उत्तर प्रदेश टॉप पर है। सबसे कम 70 हजार डोज लक्षद्वीप में लगे हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को ट्वीट कर बताया कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा वैक्सीनेशन अभियान चलाया गया। इसके लिए देशवासियों को बधाई। इतिहास में अब तक इतने बड़े स्तर पर वैक्सीनेशन नहीं हुआ है। भारत में सोमवार तक 55 करोड़ वैक्सीन डोज लगाए जा चुके हैं।

देश में 21 बार 50 लाख से ज्यादा वैक्सीन डोज लगे
देश में अब तक 21 बार 50 लाख से ज्यादा वैक्सीन डोज लगाए जा चुके हैं। 28 जून को 53 लाख, 25 जून को 70 लाख, 21 जून को 87 लाख, 3 जुलाई को 66 लाख, 13 जुलाई को 62 लाख, 17 जुलाई को 52 लाख, 19 जुलाई को 53 लाख, 22 जुलाई को 55 लाख, 26 जुलाई को 67 लाख, 29 जुलाई को 53 लाख, 30 जुलाई को 54 लाख, 31 जुलाई को 87 लाख, 2 अगस्त को 63 लाख, 3 अगस्त को 67 लाख, 6 अगस्त को 56 लाख, 7 अगस्त को 57 लाख, 9 अगस्त को 58 लाख, 12 अगस्त को 59 लाख, 13 अगस्त को 66 लाख, 14 अगस्त को 76 लाख और 16 अगस्त को 88 लाख वैक्सीन डोज लगाए गए थे।

देश में अभी रिकवरी रेट सबसे ज्यादा
इस समय भारत में कोरोना संक्रमितों का रिकवरी रेट 97.57% है। यह मार्च 2020 से लेकर अब तक सबसे ज्यादा है। देश में 3 करोड़ 22 लाख से ज्यादा लोग कोरोना संक्रमित हुए थे। इसमें से 3 करोड़ 14 लाख लोग रिकवर हो चुके हैं।

नए केस 154 दिन बाद सबसे कम
16 अगस्त को देश में कोरोना के 24,692 मामले दर्ज किए गए। 36,862 लोग इस बीमारी से रिकवर हुए। 438 संक्रमितों की मौत हो गई। नए केस का आंकड़ा 154 दिन बाद सबसे कम रहा। इससे पहले 15 मार्च को 24,437 नए केस आए थे। सोमवार को एक्टिव केस, यानी इलाज करा रहे मरीजों की संख्या में भी 12,610 की गिरावट दर्ज की गई है। अब कुल 3.63 लाख मरीजों का इलाज चल रहा है।

देश में कोरोना महामारी आंकड़ों में

बीते 24 घंटे में कुल नए केस आए: 24,692
बीते 24 घंटे में कुल ठीक हुए: 36,862
बीते 24 घंटे में कुल मौतें: 438
अब तक कुल संक्रमित हो चुके: 3.22 करोड़
अब तक ठीक हुए: 3.14 करोड़
अब तक कुल मौतें: 4.32 लाख
अभी इलाज करा रहे मरीजों की कुल संख्या: 3.63 लाख

 प्रेग्नेंट महिलाओं को भी जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए।

 प्रेग्नेंट महिलाओं में कोरोना संक्रमण डिलीवरी के दौरान जानलेवा हो सकता है। यह कहना है अमेरिका के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन का। CDC ने एक रिसर्च का जिक्र करते हुए बताया कि प्रेग्नेंसी के दौरान कोरोना होने पर डिलीवरी के समय मां की मौत का खतरा 10 गुना ज्यादा बढ़ जाता है और कई तरह की कॉम्प्लिकेशन हो सकती हैं। इसलिए सभी प्रेग्नेंट महिलाओं को भी जल्द से जल्द वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए।

यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया के इरविन मेडिकल सेंटर की रिसर्च के मुताबिक डिलीवरी के दौरान संक्रमित महिलाओं के ICU में भर्ती होने का खतरा 5 गुना ज्यादा और मौत का खतरा 10 गुना तक बढ़ जाता है।

8.69 लाख प्रेग्नेंट महिलाओं पर हुई रिसर्च
जामा नेटवर्क में पब्लिश इस रिसर्च में 18 साल या उससे अधिक उम्र वाली 8,69,000 महिलाएं शामिल हुई थीं। जिन्होंने 499 हॉस्पिटल और मेडिकल सेंटर में बच्चों को जन्म दिया। स्टडी में शामिल 18,700, यानी 2.2 प्रतिशत महिलाएं कोरोना पॉजिटिव थीं और 8,50,000, यानी 97.8 प्रतिशत महिलाओं को कोरोना नहीं हुआ था। रिसर्चर्स ने इन्हें दो ग्रुप में बांटा और ICU में भर्ती होने, वेंटिलेटर पर जाने और मौत के जोखिम जैसे पहलुओं पर रिसर्च की।

रिजल्ट में सामने आया कि कोरोना पॉजिटिव महिलाओं के ICU में भर्ती होने का खतरा 5.2% ज्यादा था।

 डिलीवरी के दौरान वेंटिलेटर पर जाने का रिस्क 15 गुना ज्यादा
इसी तरह कोरोना पॉजिटिव महिलाओं में डिलीवरी के दौरान रेस्पिरेटरी फेल्योर, यानी वेंटिलेटर पर जाने का रिस्क भी 15 गुना और मौत का खतरा 10 गुना ज्यादा था। साथ ही कोरोना पॉजिटिव महिलाओं में नर्सिंग फैसिलिटी या फिर


केयर सेंटर में भर्ती होने का खतरा तीन गुना ज्यादा था।

कोरोना पॉजिटिव महिलाओं में प्री-मैच्योर डिलीवरी का भी खतरा
वहीं, सैन फ्रांसिस्को की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने एक स्टडी में यह भी दावा किया है कि ऐसी महिलाओं में 32 हफ्ते से पहले बच्चे की प्री-मैच्योर डिलीवरी हो सकती है। शोधकर्ताओं ने कैलिफोर्निया में जुलाई 2020 से जनवरी 2021 के बीच जन्मे बच्चों का बर्थ सर्टिफिकेट देखा। इस दौरान 2,40,157 बच्चों का जन्म हुआ। इनमें 9 हजार बच्चों की मांओं को प्रेग्नेंसी के दौरान कोरोना हुआ था।

रिसर्च के मुताबिक 100 सामान्य गर्भवती महिलाओं में से 9 को प्री-मैच्योर डिलीवरी होने का जोखिम होता है, जबकि कोरोना संक्रमित 100 महिलाओं में यह जोखिम बढ़कर 13 हो जाता है।

BP और मोटापा बढ़ने पर प्री-मैच्योर डिलीवरी का खतरा ज्यादा
शोधकर्ताओं का कहना है कि जो संक्रमित महिलाएं हाई ब्लड प्रेशर, डायबिटीज और मोटापे से जूझती हैं, उनमें प्री-मैच्योर डिलीवरी होने का खतरा 160 फीसदी तक और बढ़ जाता है।

कॉम्प्लिकेशन से बचने के लिए वैक्सीन जरूरी
शोधकर्ता देबोराह केरासेक के मुताबिक, बच्चे की प्री-मैच्योर डिलीवरी होने पर कई तरह का रिस्क बढ़ता है। इनमें कई तरह के कॉम्प्लिकेशन बढ़ते हैं। रिसर्च के परिणाम बताते हैं, प्री-मैच्योर डिलीवरी को रोकने के लिए प्रेग्नेंसी के दौरान कोरोना से बचाव करना बेहद जरूरी है। इसलिए सभी को कोरोना वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए।

CDC ने कहा कि प्रेग्नेंट महिलाओं में वैक्सीन की वजह से गर्भपात का कोई खतरा नहीं है। इसलिए प्रेग्नेंट महिलाएं, बच्चों को ब्रेस्टफीड करवाने वाली महिलाएं या फिर बेबी प्लान करने वाली महिलाएं, सभी को कोरोना वैक्सीन लगवा लेनी चाहिए। यह पूरी तरह सेफ है।