दूसरी लहर नै मचाई थी तबाही देखे तस्वीर -कोरोना से 4 लाख मौतें-

DATE-03/07/2021      MONTH-JULY    YEAR -2021    FORCE TODAY NEWS

कोरोना से 4 लाख मौतें- दूसरी लहर नै मचाई थी तबाही देखे तस्वीर -

देश में कोरोना महामारी से हुई मौतों का आंकड़ा शुक्रवार को 4 लाख के पार पहुंच गया। महामारी की सेकेंड वेव में इन मौतों की दास्तां इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गईं। इस साल मई और जून में हालात ऐसे थे कि मरीजों को अस्पतालों में बेड नहीं मिल रहे थे।

कई अस्पतालों में बेड पर पड़े मरीज डॉक्टरों के सामने ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे थे। प्रशासन मौतों की गिनती छिपा रहा था। लाशों को श्मशान और कब्रिस्तान में दो हाथ जमीन तक नसीब नहीं थी। शहरों में लोग अपने परिजन के शवों को जलाने के लिए टोकन ले रहे थे। वहीं गंगा में लाशों को बहाने का सिलसिला भी पहली बार देखने को मिला।

पहली बार ऑक्सीजन के लिए हाहाकार-


देश ने ऑक्सीजन की कमी ऐसी कभी भी नहीं देखी थी। क्या अमीर और क्या गरीब। सबके हालात एक जैसे थे। पैसे तो थे लेकिन जिंदगी खरीदना नामुमकिन था। हालात ऐसे बने कि सरकार को ट्रेन और सेना के विमान से जवानों की सुरक्षा के बीच अस्पतालों में ऑक्सीजन पहुंचानी पड़ रही थी।

दुनियाभर के देशों से भारत को ऑक्सीजन, जरूरी दवाइयां और मेडिकल सामान भेजे जा रहे थे। अप्रैल से शुरू हुई महामारी की दूसरी वेव वाकई में दिल दहला देने वाला थी

 वाराणसी में मां के कदमों में बेटे की निकली जान

 
वाराणसी में इलाज के अभाव में बेटे ने मां की गोद में दम तोड़ दिया। युवक अपनी मां के साथ इलाज कराने बीएचयू गया था। डॉक्टरों ने इलाज करने से मना कर दिया। बेटा घंटों मां के साथ इलाज का इंतजार करता रहा, लेकिन डॉक्टर नहीं मिले। आखिरकार ऑटो में बैठे-बैठे बेटा मां के पैरों में गिर गया और उसकी मौत हो गई।

 ऑक्सीजन नहीं मिला तो पति को मुंह से दी सांस, लेकिन टूट गई आस


आगरा में एक महिला अपने पति को ऑक्सीजन देने के लिए भटकती रही। लाख कोशिशों के बाद जब ऑक्सीजन नहीं मिली तो महिला ने अपनी सांसों से अपने पति की जिंदगी बचाने की कोशिश की, लेकिन वह भी काम नहीं आई। पति ने ऑटो के अंदर ही अपनी पत्नी की गोद में तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया।

 श्मशान में एक साथ जल रही थीं कई चिताएं


इस तरह की तस्वीरें बताती हैं कि ये दौर कितना बुरा है। श्मशान घाटों में एक साथ कई चिताएं जल रही थीं। कई जगह तो इसके लिए भी टोकन बंट रहे हैं। यहां काम करने वाले लोग थक कर चूर हो जाते हैं, लेकिन लाशें आने का सिलसिला नहीं थमता। कई घंटे इंतजार करने के बाद मरने वाले को अंतिम संस्कार नसीब होता है।

 इस महामारी के बीच कई ऐसे लोग थे जो जी जान से लोगों की मदद कर रहे थे। लेकिन एक बात ने मानवता को शर्मसार कर दिया। दरअसल, इस आपदा में ऐसे लोग भी थे जो ऑक्सीजन, अस्पताल और यहां तक की जरूरी दवाइयों की ब्लैक मार्केटिंग और फर्जीवाड़े में लगकर अपना पाॅकेट भरने में लगे रहे। इन्हें इंसानियत के फर्ज की फिक्र नहीं थी, ये बस जेब भरने की चिंता में महापाप करते रहे।

 


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